गोपालगंज। मांझागढ़ प्रखंड के छवही खास गांव में प्रशासन ने वर्षों से सरकारी जमीन पर बसे घरों को खाली कराने के लिए कड़ी कार्रवाई की। कोर्ट के आदेश पर बुलडोजर चलाकर इन अवैध निर्माणों को हटाया गया। प्रशासनिक दल में मांझागढ़ थानाध्यक्ष संग्राम सिंह और प्रखंड सीआई शशिभूषण सिंह समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था। पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी कराई गई।
गृहस्वामियों की व्यथा:
अपने घरों को टूटते देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। स्थानीय निवासी सुभाष कमकर, चांद किशोर कमकर और रामविचार सिंह जैसे कई परिवारों का कहना है कि उनके पूर्वज दशकों से यहां रह रहे थे। “हमारी पीढ़ियां यहीं पली-बढ़ी हैं। लेकिन अब प्रशासन ने ठंड के इस मौसम में हमें बेघर कर दिया,” एक ग्रामीण ने दुखभरे स्वर में कहा।
प्रशासन की स्थिति स्पष्ट:
सीआई शशिभूषण सिंह ने बताया कि यह कार्रवाई कोर्ट के आदेशानुसार की गई। यह जमीन गैरमजरूआ आम रास्ता की थी, जिस पर अवैध अतिक्रमण कर लिया गया था। बार-बार नोटिस देने के बावजूद अतिक्रमणकारियों ने न तो पक्ष रखा और न ही जमीन खाली की। अनुमंडल दंडाधिकारी के निर्देशानुसार यह सख्त कदम उठाया गया।
जनभावना और प्रशासन की चुनौती:
जहां प्रशासन इसे कानून का पालन मान रहा है, वहीं ग्रामीण अपनी बेबसी की दास्तां सुना रहे हैं। टूटे घरों के मलबे पर बैठकर अपना भविष्य देखते ये लोग प्रशासन और सिस्टम से सवाल कर रहे हैं—क्या ठंड के मौसम में इस कार्रवाई के लिए कोई और विकल्प नहीं था?
यह मामला प्रशासन और जनता के बीच संवाद और मानवीय दृष्टिकोण की जरूरत को एक बार फिर उजागर करता है।
अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन का बुलडोजर, घरों के मलबे के बीच छलके आंसू
