पंचदेवरी। जिले भर में रंगों का त्योहार होली 15 मार्च को प्रतिपदा तिथि के अनुसार मनाई जाएगी। जिले के प्रमुख आचार्यों काशी के आचार्य डॉक्टर पंकज शुक्ला, विजयीपुर के आचार्य पं. आशुतोष मिश्र, कुचायकोट के आचार्य पं. विनोद मिश्र शास्त्री, पटखौली के आचार्य पंकज दुबे, भाठवां के आचार्य अतुल मिश्र, पंचदेवरी के आचार्य पं. अजय पांडेय और धोबवल के आचार्य पं. सोनू दुबे ने बताया कि उदयातिथि के आधार पर होली का आयोजन किया जाएगा।
आचार्यों के अनुसार, फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि गुरुवार सुबह 10:11 बजे से शुरू हो रही है। इसी समय से भद्रा भी शुरू होगी, जो गुरुवार की रात 10:37 बजे तक रहेगी। 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11:15 बजे तक रहेगी, इसलिए होली का रंगोत्सव 15 मार्च को प्रतिपदा तिथि के अनुसार खेला जाएगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 14 मार्च की सुबह 12:29 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन पर करें ये कार्य
आचार्यों के अनुसार, होलिका दहन के दिन विशेष रूप से पूजा सामग्री में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हल्दी, दीपक, मिष्ठान, आटा, गुड़, कपूर, तिल, धूप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी और गोबर के उपले या गोइठा का उपयोग किया जाता है।
होलिका की पूजा के बाद सात बार परिक्रमा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है, नकारात्मकता का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। होलिका के जलने के बाद उसमें चना या गेहूं की बाली सेंककर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।