फल जो सेहत का खजाना माने जाते हैं, आज वही सेहत के लिए ख़तरा बनते जा रहे हैं। कारण है – धंधेबाजों की लालच भरी चालें। देवरिया की नवीन फल एवं सब्जी मंडी में बड़ी संख्या में पपीता, केला और आम जैसे फलों को केमिकल से जबरन पकाया जा रहा है, जिससे लोग अनजाने में ज़हर निगल रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक, फलों को जल्दी पकाने के लिए प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। यह वही केमिकल है जो शरीर में जाने पर गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, लिवर और किडनी रोग, अल्सर, और गैस्ट्रिक समस्याएं पैदा कर सकता है।
फिलहाल देवरिया मंडी में:
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50-60 टन पपीता रोज़ आता है, जो आंध्र प्रदेश से मंगाया जाता है। थोक में 8–12 रुपये किलो बिकने वाला पपीता दुकानों पर 30–40 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है।
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40-50 टन तरबूज, बाराबंकी, लखनऊ और बिहार के गोपालगंज-मोतिहारी से आ रहा है।
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100 टन केला, महाराष्ट्र के भुसावल से आकर, केमिकल से पकाकर लगभग 320 रुपये प्रति कैरेट के हिसाब से दुकानों तक पहुंच रहा है।
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आम की आवक भी शुरू हो चुकी है, लेकिन वो भी प्राकृतिक रूप से नहीं, बल्कि केमिकल से पकाया जा रहा है।
चेतावनी:
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSSAI) के नियमों के अनुसार कैल्शियम कार्बाइड से फल पकाना अवैध है। न केवल इसका प्रयोग बल्कि इसकी बिक्री और भंडारण भी अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए सज़ा का भी प्रावधान है।
विशेषज्ञों की सलाह:
फल खरीदने से पहले उसकी प्राकृतिकता की पहचान करें। ज्यादा चमकदार, एकसमान रंग वाले और जल्दी पकने वाले फल अक्सर केमिकल से पकाए जाते हैं। घर लाकर फल को अच्छे से धोएं और संभव हो तो कुछ घंटे पानी में रखें।केमिकल से पके फल सेहत के लिए खतरनाक होते हैं। खाने से सबसे पहले यह पाचन तंत्र पर असर डालता है। यदि इसका नियमित प्रयोग किया जाए तो पाचन तंत्र के साथ लीवर भी धीरे-धीरे असर डालने लगता है। बाद में यह लीवर को भी डैमेज कर देता है। केमिकल से पकाए फल खाने से किडनी पर भी असर पड़ने लगता है। बाजार में मिलने वाले फलों को जांच परख कर ही खरीदें।