भोरे बाजार में अतिक्रमण न हटने के कारण लोगों को गंभीर जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा अतिक्रमण मुक्त बाजार बनाने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मीरगंज-भोरे सड़क चौड़ीकरण की घोषणा महज एक मजाक बनकर रह गई है।
छठ महापर्व के दौरान जिलाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच ने बाजार से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। भोरे के अंचल अधिकारी अनुभव कुमार राय ने इस अभियान की शुरुआत की, लेकिन उसका असर केवल 10% तक सीमित रहा। अधिकांश लोगों ने प्रशासनिक आदेश को अनदेखा कर दिया, जिससे जाम की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
मुख्यमंत्री ने 4 जनवरी को मीरगंज से विजयीपुर तक सड़क चौड़ीकरण की घोषणा की थी, लेकिन भोरे चरमुहानी से वायरलेस मोड़ तक की सड़क पर जाम की समस्या से राहगीरों को कोई राहत नहीं मिली। स्थानीय लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री के दौरे के समय प्रशासन ने अपनी छवि सुधारने के लिए अतिक्रमण हटाने की औपचारिकता निभाई, लेकिन यह अभियान अब ठप पड़ा है।
अंचल कार्यालय में कर्मचारियों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। सूत्रों के मुताबिक, भोरे अंचल कार्यालय में मात्र 3-4 राजस्व कर्मचारी हैं, जबकि निजी सहायक और अवैध कर्मचारी बड़ी संख्या में कार्यरत हैं। अंचल अधिकारी का कहना है कि मुख्यालय से अमीन की मांग की गई है और अगले सप्ताह तक उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा।
इस सड़क को स्थानीय विधायक और बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। यह सड़क क्षेत्रीय विकास के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी अहम भूमिका निभा सकती है। लेकिन बार-बार अतिक्रमण हटाने को लेकर तारीखें बढ़ती जा रही हैं, और लोगों को जाम की समस्या से कोई राहत नहीं मिल रही है।
स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और अतिक्रमण हटाने में हो रही देरी से जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यदि शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।
भोरे में जाम और अतिक्रमण समस्या
