जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल की शुरुआत हो चुकी है। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) के आह्वान पर डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार कर दिया है। यह हड़ताल 27 मार्च से 29 मार्च तक चलेगी।
सदर अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर ओपीडी सेवा पूरी तरह बाधित रही। सुबह से इलाज कराने पहुंचे सैकड़ों मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा। कई मरीज़ निजी अस्पतालों की ओर रुख करते दिखे, जबकि कई आर्थिक रूप से कमजोर लोग अस्पताल परिसर में इलाज की आस लगाए भटकते रहे।
डॉक्टरों की हड़ताल का मुख्य कारण बायोमैट्रिक उपस्थिति और ‘भव्या ऐप’ को लेकर विरोध है। चिकित्सकों का कहना है कि सरकार ने आपातकालीन सेवाओं को बायोमैट्रिक से मुक्त रखने का निर्देश दिया है, फिर भी गोपालगंज और मधुबनी जिलों में डीएम द्वारा डॉक्टरों की सैलरी रोकी गई है। इसे अधिकारों का हनन बताया गया है।
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि बायोमैट्रिक उपस्थिति, वेतन संबंधी समस्याएं, कार्य अवधि निर्धारण, चिकित्सकों की सुरक्षा, आवास और गृह जिले में पोस्टिंग जैसी लंबित मांगों पर सरकार लगातार चुप्पी साधे हुए है। अगर इन मुद्दों पर कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकला तो आंदोलन आगे भी जारी रह सकता है।
इस बीच, इमरजेंसी सेवाएं पूर्ववत बहाल हैं, लेकिन ओपीडी बंद होने से इमरजेंसी में भी मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, जिससे अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है।