चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को अब एंबुलेंस में ही प्राथमिक इलाज मिल सकेगा। इसके लिए जिले के सभी इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन यानी ईएमटी को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। सदर अस्पताल के प्रशिक्षण केंद्र में हुए इस प्रशिक्षण शिविर में उन्हें बताया गया कि मरीज को एंबुलेंस में कैसे लाया जाए, तुरंत उसका तापमान और ग्लूकोज लेवल कैसे जांचा जाए, ऑक्सीजन देने की प्रक्रिया क्या होगी, और जरूरी दवाओं का प्रयोग कैसे किया जाए। यह ट्रेनिंग जीएनएम निशी कुमारी और मीना कुमारी ने दी। शिविर में डॉ. सुषमा शरण, अमित कुमार, प्रशांत कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
डॉ. सुषमा शरण ने बताया कि अब एंबुलेंस में ही दवाएं, ऑक्सीजन और जरूरी उपकरण उपलब्ध रहेंगे, जिससे चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को शुरुआती चार घंटे में बेहतर इलाज मिल सकेगा। इसी दौरान अगर सही इलाज मिल जाए, तो बच्चे को बचाना आसान होता है। इसलिए हर एंबुलेंस में ईएमटी के पास एक चेकलिस्ट भी रहेगी, जिससे बच्चे की स्थिति की पूरी जानकारी डॉक्टर तक पहुंचाई जा सकेगी और इलाज में तेजी लाई जा सकेगी।
स्वास्थ्य विभाग ने इसकी व्यापक तैयारी की है। सदर अस्पताल में दस बेड का चमकी वार्ड बनाया गया है, वहीं अनुमंडलीय अस्पतालों में पाँच और सभी सीएचसी व पीएचसी में दो-दो बेड का इंतज़ाम किया गया है। सभी ज़रूरी दवाएं भी उपलब्ध करा दी गई हैं और एंबुलेंस की टैगिंग पूरी कर ली गई है।
चमकी बुखार के लक्षणों की बात करें तो इसमें बच्चों को तेज बुखार आता है, बदन में ऐंठन होती है, दांत पर दांत चढ़ने लगते हैं, सुस्ती छा जाती है और बेहोशी तक आ सकती है। कई बार चुटकी काटने पर भी शरीर में कोई हलचल नहीं होती।
गर्मी बढ़ते ही चमकी बुखार का खतरा भी बढ़ने लगता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे बच्चों को रात में भरपेट भोजन जरूर दें, सुबह उठते ही बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें और यदि बेहोशी या चमकी जैसे लक्षण दिखें तो बिना देर किए 102 एंबुलेंस या नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें।
चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को एंबुलेंस में ही मिलेगा प्राथमिक इलाज
