गोपालगंज के डीएम प्रशांत कुमार सीएच की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान पर चर्चा की गई। पराली जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है, जैविक तत्व नष्ट होते हैं और मिट्टी की उर्वरता घटती है। साथ ही नाइट्रोजन की कमी होती है और उत्पादन भी कम हो जाता है।
पराली जलाने से हवा में जहरीली गैसें जैसे CO₂, CO और SO₂ फैलती हैं, जिससे पर्यावरण और सेहत दोनों को नुकसान होता है। एक टन पराली जलने पर हजारों किलो जहरीली गैसें निकलती हैं।
डीएम ने किसानों से अपील की है कि पराली जलाने के बजाय वर्मी कम्पोस्ट बनाएं, बेलर मशीन का उपयोग करें या मल्चिंग से खेती करें। स्कूलों और पंचायतों के ज़रिए भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
मिट्टी को बचाएं, पराली ना जलाएं।
किसान भाइयों से अपील – पराली जलाना बंद करें
