गोपालगंज मंडल कारा में कुछ अलग नजारा था। बंदी दरबार का आयोजन हुआ, जहाँ जिला पदाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच और पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित खुद बंदियों की फरियाद सुनने पहुंचे।
गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत हुआ। दीप प्रज्वलन के बाद जब बंदी एक-एक कर अपनी कहानियाँ सुनाने लगे तो माहौल गंभीर हो गया। किसी ने कहा – “हमें झूठे मुकदमों में फंसाया गया है।” कोई बोला – “घर वाले वकील नहीं करवा पा रहे, सरकारी वकील चाहिए।”
डीएम ने त्वरित संज्ञान लिया, पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि लंबित गवाही वाले मामलों में तेजी लाएं। जेल परिसर का सुरक्षा अंकेक्षण भी हुआ और निर्देश दिया गया कि जेल के अंदर निगरानी के लिए आंतरिक सड़क बनवाई जाए।
लेकिन मन में एक सवाल रह गया – “कितने बंदी सचमुच निर्दोष हैं और कितने सिर्फ अपने गुनाहों पर पर्दा डाल रहे हैं?”
जेल की इन ऊँची दीवारों के पीछे भी एक दुनिया है… दर्द, उम्मीद और रहस्य से भरी।