विजयीपुर माड़र पुल पर अतिक्रमण प्रशासन मौन पुल का एप्रोच मार्ग बना टैक्सी स्टैंड

विजयीपुर प्रखंड मुख्यालय की लाइफ लाइन कहे जाने वाली माड़र पुल पर अतिक्रमण चरम सीमा पर है,लगातार हो रहे अतिक्रमण से पथ निर्माण विभाग,पुल निर्माण विभाग,एवं बिहार सरकार को कुछ लेना-देना नही है!इस पुल के उत्तर दक्षिण दिशा पर स्थायी रूप से पटरी दुकानदारो का कब्जा है, शेष सड़क पर सवारी बाहन खड़ा रहने के कारण अक्सर जाम लगती है और स्थानीय प्रशासन मुख्य दर्शक बनी रहती है, इस पुल के समांतर एक पुरानी पुल हुआ करता था, यातायात मे अयोग्य होने के कारण इस लोहा की बनी पुल को भंगार मे निलाम कर दी गई और उस जमीन सहीत वर्तमान आरसीसी पुल पर दर्जनभर लोग कब्जा जमाए बैठ गए और इस्पात निर्मित स्ट्रक्चर से स्थायी दो मंजिला घर बना लिया गया है,पुल के दोनो तरफ एप्रोच मार्ग पर मांस की दुकान बनाकर सकरी गली बना दी गई है जिस से सामने से आ रही बाहन दिखाई नही देती है और दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है,हंलाकी इस सड़क से विजयीपुर अंचल अधिकारी, विजयीपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी,विजयीपुर थानाध्यक्ष सहित एसडीपीओ,एमडीएम,यहा तक की एसपी, डीएम भी इसी मुख्य सड़क से यातायात कर चुके है लेकिन किसी को यह अतिक्रमण नजर नही आई, आता भी कैसे सरकारी महकमा की गाड़ी मे हुटर सायरन लगा रहता है प्रशासनिक ठाट बाट देखकर सड़क खाली हो जाती है या खाली कराई जाती है! स्थानीय लोग कहते है की सड़क पर यात्रा के लिए बाहन खरीदते समय ही एक मुस्त टैक्स चुकाने के बाद भी प्रदुषण, बीमा, टोल टैक्स मे भारी भरकम टैक्स आदा करनी पड़ती है फीर भी राहगीरो को सड़क मार्ग पर समुचित सुविधा नही मिलती है,यहा तक की बिल्डिंग मैटेरियल के दुकानदार बालू गिट्टी सड़क पर ही लोडिंग आनलोडींग करते है और सड़क चलते राहगीरो की जान जोखिम मे डालते है अगर इमानदारी के चश्मे से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश सीमा पगरा, जजवलिया,विजयीपुर, मुसेहरी,कालीमोड़, भोरे तमाम जगहो पर यह दुकानदार सड़क पर अतिक्रमण कर बिहार सरकार के राजस्व को चुना लगा रहे है और संबंधित विभाग मौन है जो आश्चर्यजनक है!और शायद ही विभाग के अधिकारी इस तरह की जनहित के मुद्दे को स्वतः संज्ञान ले !

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