गोपालगंज।। दुनिया के हर समस्या का समाधान शिक्षा से संभव हो जाता है बिहार सरकार इसीलिए शिक्षा पर बहुत ज्यादा बजट खर्च कर रही है।
शिक्षा विभाग बिहार के बच्चों को होनहार, शिक्षित और विद्वान बनाने के लिए कई योजना चला रहा है उसके बावजूद भी कुछ ऐसी विसंगतियां हैं जिनसे सरकार को जूझना पड़ रहा है।इसका एक छोटा सा उदाहरण
सदर प्रखंड के बसडिला पंचायत में देखने को मिला। वैसे तो निजी और सरकारी मिलकर लगभग दर्जनधर विद्यालय इस पंचायत में संचालित होते हैं परंतु बात दो सरकारी विद्यालयों की करते हैं जिसकी समीक्षा की गई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया बसडीला खास में एक महादलित मोहल्ले में सरकारी विद्यालय संचालित होता है जिसमें पांच शिक्षक तैनात है इनमें एक महिला शिक्षक भी है और बच्चों की संख्या लगभग 40 के आस पास है कमरे भी पर्याप्त हैं कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों कि यहां पढ़ाई होती है इस विद्यालय की स्थापना सरकार ने सिर्फ महादलित के बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए किया था। यहां मात्र 40 बच्चों को पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक काम कर रहे हैं पर दुखद है कि पांचवी कक्षा के बच्चों को भी किताब पढ़ना तक नहीं आ रहा है इसमें सिर्फ शिक्षक ही दोषी नहीं है बल्कि बच्चों के अभिभावक भी उतने ही दोषी हैं जिन्हें शिक्षा का महत्व आज तक समझ में नहीं आ रहा है।
और दूसरी तरफ इसी पंचायत में नौका टोला में भी एक विद्यालय संचालित होता है जहां सिर्फ दो महिला शिक्षक हैं और यहां भी बच्चों की संख्या लगभग 40 के आसपास ही है यहां बच्चों के लिए पर्याप्त कमरे भी नहीं है ना ही विद्यालय का कोई प्रांगण ही है, मात्र एक ही कमरे में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई होती है उसके बावजूद भी इस विद्यालय में दूसरी कक्षा का छात्र भी किताब को धारा प्रवाह पढ़ लेता है और इतना ही नहीं बच्चे पेंटिंग बनाने, डांस करने के साथ पढ़ाई मैं भी काफी बेहतर कर रहे हैं और दोनों विद्यालय के बच्चों की अगर टेस्ट ली जाए तो गुरु जनों का मेहनत पता चल जाएगा।
जो काम दलित बस्ती में पांच शिक्षक मिलकर नहीं कर पा रहे हैं वह यहां की दो शिक्षिका सरकार की सोच से आगे बढ़कर काम कर रही हैं और बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं यहां नेशनल हाईवे को पार करके भी बच्चे इस विद्यालय में आते हैं और यहां की प्रिंसिपल एक हादसे में घायल है उसके बावजूद भी छड़ी के सहारे चलकर बच्चों को पढ़ाती हैं और स्कूल की छुट्टी होने के बाद नेशनल हाईवे के उस पार से आने वाले बच्चों को अपने देखरेख में नेशनल हाईवे के दूसरी तरफ ले जाकर छोड़ती है। ताकि बच्चे सुरक्षित अपने घर जा सके। इन दो महिला शिक्षक की मेहनत और लगन विद्यालय के बच्चों में साफ दिख जाएगा, स्थानीय लोग भी इन दो महिला शिक्षिका की काफी प्रशंसा करते हैं।