कालाजार उन्मूलन को लेकर स्टेक होल्डर कंसल्टेशन मीटिंग का आयोजन

गोपालगंज। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में कालाजार मरीजों को उच्च गुणवत्तापूर्ण सुविधा मुहैया कराएं तभी मरीजों में स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगी। उक्त बातें स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग पटना डॉ एनके सिन्हा ने गोपालगंज के एक निजी होटल में आयोजित स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन मीटिंग के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हमने कालाजार उन्मूलन के जिस उपलब्धि को हासिल किया है उसे सस्टेन करना अति आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि कालाज़ार मरीजों की पहचान और ससमय इलाज सुनिश्चित किया जाए। कालाजार उन्मूलन के लिए आईआरएस छिड़काव की निगरानी जरूरी है। उन्होंने बताया कि बिहार में मई 2025 तक मात्र 91 वीएल कालाजार के मरीज मिले है। वहीं गोपालगंज जिले में वर्ष 2025 में 9 वीएल कालाजार तथा 7 पीकेडीएल कालाजार के मरीज मिले हैं। आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर कालाजार की अधिक से अधिक मरीजों की खोज सुनिश्चित की जाए। इस बैठक में कालाजार उन्मूलन के लिए चुनौती और समाधान पर विशेष रूप से चर्चा की गई। इस अवसर पर आरएमआरआईएमएस के डायरेक्टर डॉक्टर कृष्णा पांडेय, सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद, डीएमओ डॉ सुषमा शरण, डॉ अरविन्द कुमार, डीपीएम धीरज कुमार, आरओएचएफडबल्यू डॉ रविशंकर सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ राजेश पांडेय, डॉ माधुरी देवराजू, अमित कुमार, प्रशांत कुमार समेत अन्य पीरामल, डबल्यूसीएफ, सिफार के प्रतिनिधि मौजूद थे।

कमजोर समूहों और जोखिम वाली आबादी की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करना ही मुख्य उद्देश्य:

राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमआरआईएमएस) के निदेशक डॉ कृष्णा पाण्डेय ने कहा कि कालाजार उन्मूलन अभियान के माध्यम से कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले कमजोर समूहों और जोखिम वाली आबादी की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। क्योंकि अब यह सार्वजनिक रूप से स्वास्थ्य समस्या नहीं रह गई है। उन्होंने यह भी कहा कि परजीवी के कारण होने वाला कालाजार, उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (एनटीडी) में से एक है, जिसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है। हालांकि अब इसे वैश्विक स्तर पर काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है, क्योंकि सिवान सहित राज्य से कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने में स्वास्थ्य विभाग सहित कई अन्य सहयोगी संस्थाओं ने अहम भूमिका निभाई है। डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषित बीमारियों का एक समूह है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आबादी के वंचित वर्गों को प्रभावित करता है। इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, अत्यधिक थकान, वजन कम होना, तिल्ली और यकृत का बढ़ना शामिल है। अगर इसका इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। हालांकि इसके लिए ग्रामीण स्तर पर जागरूकता अभियान, निगरानी और इलाज की बेहतर व्यवस्था कराने के लिए आपसी समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है। सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि कालाजार के मामलों की संख्या, प्रभावित क्षेत्रों में कालाजार के प्रसार को रोकने और इसके नियंत्रण के लिए प्रभावी उपायों पर चर्चा करना, कालाजार के मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता की समीक्षा करना और कालाजार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इसके लक्षण, कारण और रोकथाम के तरीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए रणनीति बनाई गई है।

गोपालगंज में 16 मरीज मिले :

इस दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुषमा शरण कालाज़ार उन्मूलन के लिए किए गए प्रयासों तथा उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को हमने हासिल कर लिया है विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इसका सर्टिफिकेशन किया जाना है। जिले में लगातार कालाजार के मरीजों की संख्या कम हो रही है वर्ष 2025 में मात्र 16 मरीज मिले हैं। इसमें 9 वीएल कालाजार तथा 7 पीकेडीएल के मरीज मिले हैं। कालाजार उन्मूलन को लेकर विभिन्न माध्यमों से प्रयास किया जा रहा है सोशल मोबिलाइजेशन, छिड़काव और कलाकार मरीजों की खोज की जा रही है।

 

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