महाशिवरात्रि पर विभिन्न शिवालयों में उमड़ी आस्था का जन शैलाब, हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा शिवालय

गोपालगंज। जिले के विभिन्न शिवालयों में महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालु अहले सुबह से ही पंक्तिबद्ध होकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर उन्हें नमन कर रहे थे। इस अवसर पर श्रद्धालु महिलाएं और पुरुष उपवास रखकर भगवान शंकर की आराधना में जुटे रहे। जिला और पुलिस प्रशासन की टीम विभिन्न शिवालयों में पूरी मुस्तैदी से तैनात दिखी, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि पर जिले के प्रमुख शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। हर कोई भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर उनकी कृपा प्राप्त करने में लगा हुआ था। सुबह छह बजे से ही मंदिरों और उनके आसपास के इलाकों में भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हो गए थे। भक्त बेलपत्र, धतूरा, भांग, बैर, अक्षत, धूप और जल से भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे थे।
नगर के मेन रोड स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। प्राचीन शिव मंदिर बालखंडेश्वर महादेव के दरबार के अलावा जादोपुर रोड स्थित शिव मंदिर पर भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर शिव मंदिरों के आस-पास मेले का भी आयोजन किया गया था। महाशिवरात्रि के मौके पर लगने वाले मेले को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
शिवमंदिर में सुबह तीन बजे से ही भक्त पहुंचने लगे थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, भीड़ भी बढ़ती गई। मंदिर परिसर में अत्यधिक भीड़ होने के कारण भक्तों को जल चढ़ाने में कुछ कठिनाई भी हुई। हालांकि, प्रशासन और स्थानीय युवकों द्वारा श्रद्धालुओं को व्यवस्थित तरीके से कतार में लगाकर भगवान शिव पर जलाभिषेक करवाया जा रहा था।
बालखंडेश्वर नाथ मंदिर का 200 वर्षों का इतिहास
गोपालगंज के जनता सिनेमा रोड स्थित बालखंडेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास करीब 200 वर्षों पुराना है। ऐसी मान्यता है कि जब हथुआ राज का शासन था, तब गोपालगंज शहर के बीचों-बीच जहां वर्तमान में बालखंडेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है, उस स्थान पर हथुआ राज की छावनी हुआ करती थी।
सैनिकों द्वारा खेती करने के उद्देश्य से जब खेत की जोताई की जा रही थी, तभी हल द्वारा खेत से एक शिवलिंग प्रकट हुई। हालांकि, हल से शिवलिंग थोड़ी खंडित हो गई थी। स्थानीय लोगों और सैनिकों ने खंडित शिवलिंग को वहीं स्थापित कर एक छोटा सा स्थान बना दिया और पूजा-अर्चना शुरू कर दी।
धीरे-धीरे यह बात पूरे इलाके में फैल गई और लोगों की भीड़ जुटने लगी। स्थानीय लोगों ने जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगी, वह पूरी होती गई, जिससे मंदिर को “मन्नतनाथ” के नाम से भी जाना जाने लगा।
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर भक्तों की अपार श्रद्धा और भक्ति का नजारा देखने लायक था। हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

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