ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी), जो प्रत्येक बुधवार व शनिवार को आयोजित होता है, अब केवल टीकाकरण व पोषण तक सीमित नहीं है। इन सत्रों में फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म (PSP) के सदस्य – जिनमें सीएचओ, एएनएम, ग्राम प्रधान, संगिनी, आशा, आँगनबाड़ी, फाइलेरिया कर्मी एवं कोटेदार शामिल हैं – वीएचएसएनडी सत्रों में भाग लेकर लाभार्थियों को फाइलेरिया के लक्षण, बचाव एवं उपचार के प्रति जानकारी दे रहे हैं। साथ ही, वे गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण में सहयोग कर रहे हैं एवं गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार व पोषण संबंधी सलाह भी प्रदान कर रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत पथरदेवा व भटनी ब्लॉक के आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर पीएसपी का गठन किया गया है। इन मंचों के माध्यम से वेलनेस कैलेंडर के अनुरूप समुदाय आधारित गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति को काटने वाले क्यूलेक्स मच्छर के माध्यम से फैलती है। इसके लक्षण 5 से 15 वर्षों में उभरते हैं, जिनमें हाथ-पैर या अंडकोष में सूजन, महिलाओं में स्तन के आकार में परिवर्तन शामिल हैं। यदि प्रारंभिक चरण में रोग की पहचान हो जाए, तो इसका रोकथाम संभव है।
उन्होंने बताया कि हर वर्ष एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान के अंतर्गत फाइलेरिया से बचाव की दवा दी जाती है, जिसे लगातार 5 वर्षों तक साल में एक बार सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। आगामी अगस्त माह में चलने वाले एमडीए अभियान के दौरान जब आशा कार्यकर्ता दवा लेकर घर आएं, तो दवा का सेवन अवश्य करें।