मांझागढ़: फरवरी की शुरुआत के साथ ही लाही कीट का प्रकोप बढ़ने लगा है, जिससे तेलहन और सब्जी की फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका है। लाही कीट सरसों और सब्जियों के पौधों के फल और फूलों का रस चूसकर फसल को कमजोर कर देता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
इस संकट के बीच किसानों को सरकारी स्तर पर कोई विशेष सहायता नहीं मिल रही है। न तो कृषि वैज्ञानिक और न ही कृषि पदाधिकारी किसानों को सही परामर्श दे रहे हैं। ऐसे में किसान खुद ही खाद दुकानदारों से सलाह लेकर कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं। लेकिन हर हफ्ते दवा का छिड़काव करना सभी किसानों के लिए संभव नहीं है, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है।
सिंचाई के लिए भी नहीं मिल रही सुविधा
इसके अलावा, फसलों की सिंचाई के लिए भी सरकार द्वारा पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है।
- नहरों में तीन महीने से पानी नहीं छोड़ा गया, जिससे नहरें सूखी पड़ी हैं।
- ट्यूबवेल खराब होने के कारण बंद पड़े हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त परेशानी झेलनी पड़ रही है।
किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो कर रही है, लेकिन जब तक –
✔ फसल सिंचाई की समुचित व्यवस्था
✔ निशुल्क खाद और बीज की सुविधा
✔ कीटों से बचाव के लिए वैज्ञानिकों और कृषि पदाधिकारियों से समय-समय पर परामर्श
नहीं दिया जाएगा, तब तक किसानों की स्थिति में सुधार संभव नहीं है।