गोपालगंज: जनजातीय गौरव दिवस पर बच्चों ने बिरसा मुंडा को किया याद

पंचदेवरी, संवाददाता। जिले के प्राइमरी, मिडिल, उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में जनजातीय गौरव दिवस पखवारा को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। बुधवार को पंचदेवरी प्रखंड के मिडिल स्कूल नेहरूआ कला सहित कई विद्यालयों में जनजातीय नृत्य की झांकियां प्रस्तुत की गई । इस दौरान विद्वानों ने आदिवासियों के हक व हकूक के महानायक बिरसा मुंडा की जीवनी व संघर्ष के बारे में छात्रों को जानकारी दी। मिडिल स्कूल नेहरुआ कला के नौनिहालों ने जनजातीय समुदाय में प्रचलित झांकी प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुगध कर दिया। इस दौरान शिक्षक जनार्दन ओझा ने कहा कि भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। उन्होंने काले कानूनों को चुनौती देकर ब्रिटिश साम्राज्य को सांसत में डाल दिया था। संजीव कुमार ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा का उदय 1857 के दो दशक बाद हुआ। खूंटी के उलिहातू में 15 नवंबर 1875 को बिरसा मुंडा का जन्म हुआ। बिरसा की प्रारंभिक शिक्षा चाईबासा के जर्मन मिशन स्कूल में हुई। पढ़ाई के दौरान ही बिरसा की क्रांतिकारी तेवर का पता चलने लगा। इधर, सरदार आंदोलन भी चल रहा था जो सरकार और मिशनरियों के खिलाफ भी था। सरदारों के कहने पर ही मिशन स्कूल से बिरसा मुंडा को हटा दिया गया। 1890 में बिरसा और उसके परिवार ने भी चाईबासा छोड़ दिया और जर्मन ईसाई मिशन की सदस्यता भी। मौके पर सुनील कुमार शर्मा, निर्मला शुक्ला, जनार्दन ओझा, संजीव कुमार, प्रवीण कुमार, छोटेलाल प्रसाद, माया शर्मा, ममता श्रीवास्तव, पुष्पा देवी, जमीर हसन आदि थे ।

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