गोपालगंज: शिक्षा विभाग, जीविका, और पंचायती राज विभाग के आपसी सामंजस्य से फ़ाइलेरिया उन्मूलन का सपना जल्द साकार होगा। यह विचार पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने पटना में आयोजित एक कार्यशाला के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान को जन आंदोलन के रूप में चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से अपील की कि वे खुद दवा खाकर अभियान की शुरुआत करें और अपने क्षेत्र के हर व्यक्ति को दवा सेवन सुनिश्चित करें।
कार्यशाला में अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फ़ाइलेरिया, डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि फ़ाइलेरिया दीर्घकालीन विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने एमडीए अभियान को विश्व का सबसे बड़ा दवा सेवन कार्यक्रम बताते हुए कहा कि राज्य की 45% आबादी 2 से 15 वर्ष आयु वर्ग की है। इन बच्चों को मध्यान्ह भोजन के बाद दवा खिलाने से लक्ष्य प्राप्ति में बड़ी सफलता मिलेगी।
डॉ. राजेश पांडेय, स्टेट एनटीडी कोऑर्डिनेटर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, ने कहा कि अभियान की सफलता आशा कार्यकर्ताओं की सक्रियता पर निर्भर करती है। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि घर-घर जाकर दवा सेवन सुनिश्चित करें और जरूरत पड़ने पर घरों का दोबारा दौरा करें।
पिरामल स्वास्थ्य के कोर टीम मेंबर विकास सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि “मेरी सुरक्षा, मेरे हाथ” अभियान का मूलमंत्र होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा विभाग, जीविका और पंचायती राज विभाग के बीच बेहतर समन्वय पर चर्चा की।
कार्यशाला में मध्यान्ह भोजन के सहायक निदेशक रूपेंद्र सिंह ने विभागीय सहयोग का भरोसा दिलाया। वहीं, जीविका की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी सौम्या और अन्य प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे।
इस दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ निदेशक डॉ. कैलाश कुमार, पिरामल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी बासब रूज, और कई अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
एमडीए अभियान को सफल बनाकर राज्य के 15% प्रखंडों में माइक्रोफ़ाइलेरिया के प्रसार को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई है। अब यह अभियान फ़ाइलेरिया मुक्त पंचायत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। सभी प्रतिभागियों ने इस दिशा में अपना पूरा योगदान देने का संकल्प लिया।
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