महाकुंभ में भगदड़ से गोपालगंज की चार महिलाओं की मौत, परिजनों में मचा कोहराम

गोपालगंज। महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या स्नान के समय हुई भगदड़ में गोपालगंज जिले की चार महिलाओं की मौत हो गई। हादसे के बाद सभी मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम प्रयागराज में कराया गया, जिसके बाद परिजन शव लेकर घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। इस घटना के बाद मृतकों के गांवों में मातम का माहौल है और परिजन गहरे सदमे में हैं।
मृतकों में बरौली थाना क्षेत्र के माड़नपुर गांव की 65 वर्षीय शिवकली देवी, भोरे थाना क्षेत्र के रामनगर गांव की 68 वर्षीय सरस्वती देवी, उचकागांव थाना क्षेत्र के श्यामपुर गांव की तारा देवी और बलेसरा गांव की 65 वर्षीय सुशीला देवी शामिल हैं।
मृतका शिवकली देवी अपनी बेटी संगीता कुमारी के साथ पहली बार महाकुंभ में स्नान करने गई थीं। संगीता ने बताया कि उनकी मां ने जीवन में एक बार गंगा स्नान और पुण्य लाभ की इच्छा जताई थी, इसलिए वह उन्हें संगम तट पर लेकर गई थीं। देर रात करीब 1:30 बजे जब संगम तट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, उसी दौरान साधुओं का काफिला गुजरने लगा और अचानक भगदड़ मच गई। भीड़ इतनी अधिक थी कि सांस घुटने से कई लोग गिर पड़े और कुचल गए। इसी भगदड़ में शिवकली देवी की मौत हो गई।
मृतका के परिवार में दो बेटे और चार बेटियां हैं। उनके पति की करीब नौ साल पहले मौत हो चुकी थी। एक बेटा पुणे में इंजीनियर, जबकि दूसरा बेटा सऊदी अरब में फोर्थ मैन का काम करता है। जब यह दुखद खबर माड़नपुर गांव पहुंची, तो घर में मौजूद दोनों बहुओं की चीत्कार से पूरा गांव गमगीन हो गया। रिश्तेदार और ग्रामीण सांत्वना देने के लिए घर पहुंचने लगे।
इस भगदड़ में मृतक सरस्वती देवी अपने 14 वर्षीय भतीजे दीपू कुमार के साथ कुंभ स्नान के लिए गई थीं। वह 11 लोगों के एक समूह के साथ बोलेरो से देवरिया जिले के भटनी जंक्शन पहुंचीं, जहां से ट्रेन पकड़कर प्रयागराज गई थीं। इसी तरह तारा देवी और उनके पति धुरेंद्र गोड़ भी कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज गए थे। स्नान के बाद जब भगदड़ मची, तो तारा देवी की भी दम घुटने और दबने से मौत हो गई।
सरस्वती देवी और तारा देवी के अलावा, सुशीला देवी भी इस हादसे का शिकार हो गईं। स्नान करने के बाद जब यह परिवार मेले में आराम कर रहा था, उसी दौरान देर रात भगदड़ मच गई और सरस्वती देवी और तारा देवी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि रामनाथ खटीक सहित चार अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
घटना की सूचना परिजनों को टेलीफोन के माध्यम से मिली। खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया और घरों में चीख-पुकार मच गई। ग्रामीणों की भीड़ दरवाजे पर इकट्ठा हो गई और परिजन शवों के घर पहुंचने का इंतजार करने लगे।
घर से खुशी-खुशी कुंभ स्नान के लिए निकलीं चारों महिलाओं को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि यह स्नान उनकी जिंदगी का आखिरी स्नान होगा। परिजनों ने उन्हें भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से रोका था, लेकिन धार्मिक आस्था और पुण्य लाभ की चाह में उन्होंने परिजनों की बात नहीं मानी और प्रयागराज चली गईं। अब उनके घरों में मातम पसरा हुआ है और गांवों में शोक की लहर दौड़ गई है।
मृतकों के परिजन प्रयागराज से शवों के आने का इंतजार कर रहे हैं और अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है। प्रशासन की ओर से अभी तक इस हादसे को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जबकि परिजनों ने सरकार से उचित मुआवजा और भविष्य में भीड़ नियंत्रण के बेहतर इंतजाम करने की मांग की है।

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