टीबी मुक्त भारत अभियान: अब हर व्यक्ति बनेगा योद्धा, गोपालगंज में मिशन मोड में काम शुरू
गोपालगंज समेत पूरे बिहार में 100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान को तेजी से लागू किया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य है – देश को टीबी मुक्त बनाना। यह अभियान पहले देश के 347 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सफलतापूर्वक चलाया जा चुका है।
आशा और सीएचओ बनेंगे ‘टीबी वॉरियर्स’, घर-घर जाकर होगी निगरानी
इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता है जन-जन की भागीदारी। आशा कार्यकर्ता हर सप्ताह और सीएचओ हर 15 दिन में टीबी मरीजों के घर जाकर निगरानी करेंगे। प्रत्येक आयुष्मान आरोग्य मंदिर में दो टीबी चैंपियन नियुक्त किए जाएंगे जो क्षेत्र में जागरूकता और निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे।
कमजोर आबादी में टीबी स्क्रीनिंग और एक्स-रे की व्यवस्था
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से एनसीडी मरीजों की एक्स-रे स्कैनिंग कर टीबी की जांच की जाएगी। कमजोर और वंचित आबादी वाले क्षेत्रों में 100% टीबी जांच का लक्ष्य रखा गया है। मौतों का विश्लेषण मातृत्व मृत्यु ऑडिट की तर्ज़ पर किया जाएगा।
पोषण और सहायता में कोई कमी नहीं, मिलेगा नि-क्षय योजना का लाभ
टीबी मरीजों को नि-क्षय पोषण योजना, नि-क्षय मित्र सहायता और पोषण पोटली दी जाएगी। एनजीओ, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। जिला स्तर पर कॉल सेंटर स्थापित कर उपचार की निगरानी की जाएगी।
सख्त निगरानी के साथ टीबी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान
सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि टीबी से मृत्यु दर को तेज़ी से गिराने के लिए Differentiated TB Care मॉडल लागू किया गया है। उच्च जोखिम वाले मरीजों की अलग पहचान कर उन्हें विशेष निगरानी में रखा जाएगा और संक्रमित संपर्कों की भी जांच की जाएगी।