सासामुसा चीनी मिल को फिर से शुरू करने की मांग पर गोपालगंज में उग्र प्रदर्शन
गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड के सासामुसा स्थित वर्षों से बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा चालू कराने की मांग को लेकर शनिवार को स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखकर एकजुटता दिखाई और सरकार व मिल प्रबंधन से शीघ्र हस्तक्षेप की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
बंद पड़ी सासामुसा चीनी मिल को फिर से चालू कराने को लेकर व्यापारियों और ग्रामीणों का हल्लाबोल
सासामुसा क्षेत्र में लोगों ने चीनी मिल की बहाली के लिए भारी संख्या में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। व्यापारियों ने अपनी दुकानें स्वेच्छा से बंद कर दीं और ग्रामीणों ने प्रदर्शन में भाग लेकर मिल को जीवनरेखा बताते हुए इसे जल्द शुरू कराने की मांग की। इस विरोध से साफ है कि सासामुसा के लोग अब चुप नहीं बैठेंगे।
दुकानें बंद, सड़कों पर नारेबाजी – गोपालगंज में विरोध प्रदर्शन से गूंज उठा बाजार
विरोध प्रदर्शन के दौरान पूरे बाजार में सन्नाटा छा गया। सैकड़ों दुकानदारों ने कारोबार बंद रखकर विरोध जताया। सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ थी, जो “मिल चालू करो” जैसे नारों से गूंज रही थी। स्थानीय लोगों ने प्रशासन को चेताया कि यह आंदोलन केवल शुरुआत है।
गन्ना किसानों और मजदूरों की टूटी कमर, मिल बंद होने से हजारों परिवार प्रभावित
सासामुसा चीनी मिल दशकों से इलाके के किसानों और मजदूरों की रोज़ी-रोटी का प्रमुख स्रोत रही है। मिल के बंद हो जाने से न केवल हजारों श्रमिक बेरोज़गार हो गए हैं, बल्कि गन्ना किसान भी अपनी उपज बेचने को लेकर संकट में हैं। किसान मजबूर हैं कि अपनी फसल औने-पौने दाम में दूसरे जिलों में बेचें।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा सीधा असर, ग्रामीण बोले – मिल है हमारी जीवनरेखा
प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि मिल का बंद होना केवल रोजगार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक रफ्तार को ठप करने जैसा है। दुकानदारों से लेकर ट्रांसपोर्टर तक, हर वर्ग इससे प्रभावित है। अगर मिल दोबारा शुरू होती है तो अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार मिलेगी।
प्रदर्शनकारियों की चेतावनी – जल्द मांगे नहीं मानी गईं, तो आंदोलन होगा और उग्र
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने साफ कहा कि यह तो केवल चेतावनी है। अगर सरकार और संबंधित विभागों ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन जिलेभर में फैल जाएगा। लोगों ने सरकार से जल्द सकारात्मक पहल की मांग की है ताकि क्षेत्र की दशकों पुरानी उम्मीद फिर से जीवित हो सके।