श्रीमद् भागवत कथा: पापों से मुक्ति का साधन

पंचदेवरी – व्यक्ति चाहे कितना भी अधम क्यों न हो, यदि वह सच्चे मन से श्रीमद्भागवत महापुराण का श्रवण करता है तो उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। श्रीमद्भागवत कथा कलियुग में मानव मात्र के लिए उस नौका के समान है, जिस पर सवार हुए बिना भवसागर से पार पाना कठिन है। यह बात पं. योगेंद्र तिवारी साहित्याचार्य ने गहनी चकियाँ में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस के प्रवचन में कही।

उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है और प्रेत योनि तथा असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। पं. तिवारी ने कहा कि परिवर्तन संसार का नियम है, और मृत्यु, जिसे मनुष्य अंत समझता है, वह वास्तव में एक नया जीवन है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा मनुष्य के संपूर्ण क्लेशों को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है।

कथा का शुभारंभ कटेया थाना प्रभारी अभिषेक कुमार, अपर थानाध्यक्ष मुकेश कुमार और प्रख्यात कवि संजय मिश्रा ‘संजय’ ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर यज्ञमान दीनानाथ द्विवेदी, उनकी धर्मपत्नी कुसुम देवी, सत्येंद्र दुबे, उमाशंकर भगत, बैरिस्टर राय, अजीत दुबे, हरेराम दुबे, नंदेश्वर शुक्ल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।

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