देवरिया (सू0वि0)। सहायक श्रम आयुक्त स्कन्द कुमार मिश्रा ने जानकारी दी कि बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986, जो 2016 में संशोधित हुआ था, के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को फैक्ट्रियों, कारखानों, दुकानों, घरेलू कार्य, शॉपिंग मॉल आदि में नियोजित करना संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इसके साथ ही, अधिनियम की धारा-3(ए) के तहत खतरनाक व्यवसायों जैसे ईंट भट्ठा, पत्थर कटाई, विस्फोटक निर्माण और फैक्ट्री अधिनियम 1948 के अंतर्गत आने वाले कार्यों में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को नियोजित करना भी अपराध है।
अधिनियम के उल्लंघन पर दोषी नियोजकों को 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा या 20,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना, अथवा दोनों हो सकते हैं।
सहायक श्रम आयुक्त ने सभी प्रतिष्ठानों के नियोजकों से अपेक्षा की है कि वे अपने प्रतिष्ठानों के मुख्य द्वार पर बाल एवं किशोर श्रम अधिनियम 1986, संशोधित 2016 के तहत धारा-3, 3(ए), और 14 का सारांश बाल श्रम निषेध का उल्लेख हिन्दी और अंग्रेजी में अमिट स्याही से प्रदर्शित करें। इसके अलावा, गैर-खतरनाक प्रतिष्ठानों में यदि किशोर श्रमिक कार्यरत हैं, तो इसकी सूचना स्थानीय श्रम कार्यालय में देनी चाहिए।
बाल श्रम से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए आमजन श्रम कार्यालय, नजदीकी पुलिस थाना या http://pencil.gov.in वेबसाइट पर जानकारी दे सकते हैं। सूचना प्राप्त होने पर श्रम विभाग बाल श्रमिकों को कार्यस्थल से मुक्त कराने की तत्काल कार्रवाई करेगा और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगा।