फाइलेरिया रोगियों को उचित देखभाल देने की अपील: अपर निदेशक

  • रोगी हितधारक मंच से सहयोग की अपील: सीएमओ
  • पथरदेवा ब्लॉक के आयुष्मान आरोग्य महुआवा बुजुर्ग में फाइलेरिया मरीजों को पीएसपी के सहयोग से एमएमडीपी प्रशिक्षण प्रदान किया गया
  • एडी हेल्थ और सीएमओ ने फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित किया

देवरिया : फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आयुष्मान आरोग्य केंद्र महुआवा बुजुर्ग में शुक्रवार को सीएचओ के नेतृत्व में अपर निदेशक स्वास्थ्य (एडी हेल्थ) डॉ. एनपी गुप्ता की अध्यक्षता और मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजेश झा की उपस्थिति में “पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफार्म” (रोगी हितकारी मंच) के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों के लिए एमएमडीपी प्रशिक्षण एवं किट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान फाइलेरिया बीमारी और उससे बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। सीएचओ द्वारा फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सफाई, व्यायाम के माध्यम से हाथीपांव की सूजन को कम करने और फाइलेरिया रोग प्रबंधन के बारे में डेमो दिया गया। कार्यक्रम में छह फाइलेरिया मरीजों को 12 दिन की खुराक भी दी गई।

कार्यक्रम के दौरान एडी हेल्थ डॉ. एनपी गुप्ता ने कहा कि “इस किट में टब, मग, तौलिया, साबुन, आदि जरूरी चीजों के साथ-साथ एंटी-फंगल क्रीम भी शामिल है। फाइलेरिया रोगी को प्रभावित अंगों की उचित देखभाल करनी चाहिए। यदि हाथ या पैर में सूजन आ गई है या फाइलेरिया ग्रसित अंगों से पानी का रिसाव हो रहा है, तो प्रभावित अंगों की सफाई बहुत जरूरी है। इस किट की मदद से सफाई कर संक्रमण से बचा जा सकता है।” 

सीएमओ डॉ. राजेश झा ने कहा कि “रोगी हितधारक मंच को फाइलेरिया मरीजों की पहचान और उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने मरीजों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करते हुए एमएमडीपी किट के इस्तेमाल के फायदों के बारे में बताया। सीएमओ ने कहा कि एमएमडीपी किट के नियमित इस्तेमाल से मरीजों को हाथीपांव की सूजन पर काबू पाने में मदद मिल सकती है, लेकिन इसके लिए मरीजों को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा। एमडीए अभियान के तहत पांच साल तक लगातार साल में एक बार दवा का सेवन करने से इस बीमारी का जोखिम कम किया जा सकता है।”

वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक नवीन प्रकाश भारती ने कहा कि “फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के माध्यम से फैलती है। यह मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, जिससे वह भी संक्रमित हो सकता है। संक्रमण के लक्षण पांच से 15 साल में सामने आते हैं, जिनमें हाथ-पैर में सूजन या अंडकोष में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं में स्तन के आकार में परिवर्तन हो सकता है। हालांकि, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन शुरुआत में पहचान होने पर इसे रोका जा सकता है।”

कार्यक्रम के दौरान सीएचओ शबनम खातून ने फाइलेरिया रोग प्रबंधन के लिए डेमो दिया और फाइलेरिया के कारण शरीर में सूजन और अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने छह प्रकार के व्यायाम का डेमो देकर फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सूजन को कम करने के तरीकों की जानकारी दी। शबनम खातून ने कहा कि नियमित व्यायाम और प्रभावित अंगों की उचित सफाई से इस बीमारी के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।

कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. प्रभात रंजन, बीसीपीएम आशुतोष त्रिपाठी, सीफार के प्रतिनिधि, बीएसडब्लूयू राकेश, पीएसपी के सदस्य ग्राम प्रधान मुराद आलम, प्रधानाध्यापक हाफिजुल्लाह अंसारी, एएनएम पूजा कुमारी, आशा कार्यकर्ता शांति देवी, सुनीता देवी, सुनैना देवी, आंगनबाड़ी सरस्वती देवी, फाइलेरिया मरीज रईजून खातून, शीला देवी, रामावती देवी, कलावती देवी, मैरुनिशा, फातिमा खातून और अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।

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