जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने शनिवार को बरहज के कान्हा गो-आश्रय स्थल और खुखुन्दू के कांजी हाउस का निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का बारीकी से जायजा लिया।
इस दौरान उनके साथ मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, प्रभारी उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, बरहज नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत अध्यक्ष और तहसीलदार बरहज मौजूद रहे।
कान्हा गो-आश्रय स्थल, बरहज में 284 गोवंश संरक्षित हैं, जिनमें 29 मादा और 254 नर गोवंश शामिल हैं। जिलाधिकारी ने गोशाला में स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित ‘गोबर पेंट’ निर्माण संयंत्र का अवलोकन किया और इसे पर्यावरण संरक्षण व महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अनुकरणीय स्वदेशी प्रयास बताया। उन्होंने इस नवाचार की प्रशंसा करते हुए इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने वाला कदम करार दिया।
जिलाधिकारी ने गोवंशों को अपने हाथों से गुड़ और केला खिलाया। उन्होंने गोशाला में स्वच्छता, हरा चारा, स्वच्छ पेयजल, साइलेज, भूसा और पशु आहार की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, गर्मी और लू से बचाव के लिए विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी।
इसके बाद जिलाधिकारी ने खुखुन्दू के कांजी हाउस का दौरा किया, जहां 58 गोवंश संरक्षित हैं।
इस अवसर पर पशुचिकित्सा अधिकारी भलुअनी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत और मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे। यहां भी जिलाधिकारी ने गोवंशों को केला, गुड़ और चना खिलाया। उन्होंने सोलर पैनल और पंखे लगाने के साथ-साथ स्वच्छता व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत को आवश्यक निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा, “गौ संरक्षण केवल धार्मिक या सांस्कृतिक कर्तव्य नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक प्रभावी माध्यम है। गोशाला से जुड़े स्वदेशी प्रयास न केवल स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि महिला आत्मनिर्भरता और ग्राम्य विकास को भी नई दिशा दे रहे हैं।