देवरिया: जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल के निर्देश पर, जिला उद्यान अधिकारी ने किसानों को जानकारी दी है कि आलू, आम, केला और शाकभाजी फसलों की गुणवत्तापूर्ण पैदावार के लिए मौसम के अनुसार रोगों और कीटों से बचाव करना आवश्यक है। मौसम विभाग ने तापमान में गिरावट और कोहरे की संभावना जताई है, जिससे फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इस वित्तीय वर्ष में जिले में लगभग 40 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती का अनुमान है। बदलते मौसम और बूंदाबांदी के कारण आलू की फसल ‘पिछेती झुलसा रोग’ (लेट ब्लाइट) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाती है। इस रोग के लक्षणों में पत्तियों का झुलसना, भूरे-काले धब्बे बनना, और पत्तियों की निचली सतह पर फफूंद का दिखना शामिल है। यह रोग 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80% से अधिक आर्द्रता में तेजी से फैलता है, और गंभीर स्थिति में फसल को 2 से 4 दिनों में नष्ट कर सकता है।
कृषकों को सलाह दी जाती है कि आलू की फसल को बचाने के लिए काबेंडाजिम या प्रोपिनेब जैसे फफूंदनाशकों का छिड़काव करें। यदि माहू कीट का प्रकोप हो, तो इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशक का उपयोग किया जाए।
आम की फसल की सुरक्षा के लिए गुजिया कीट (मैंगो मिलीबग) से बचाव भी महत्वपूर्ण है। दिसंबर में आम के पेड़ के मुख्य तने पर 400 गेज की पॉलीथीन पट्टी लपेटने की सलाह दी जाती है, जिससे कीट पेड़ पर चढ़ने से रोक सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कीट नियंत्रण के लिए क्लोरीपाइरीफॉस और इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग किया जा सकता है।
केले की फसल को पाले से बचाने के लिए पौधों के आसपास नमी बनाए रखने और समय-समय पर सिंचाई करने की सलाह दी जाती है। शाकभाजी जैसे मिर्च, टमाटर और मटर को पाले और कोहरे से बचाने के लिए पौधशालाओं को पॉलीथीन या टाट से ढका जाए।
किसानों को कीटनाशकों के उपयोग में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। छिड़काव करते समय दस्ताने, मास्क और चश्मे का उपयोग करें, और बच्चों एवं पशुओं को दूर रखें। कीटनाशकों के खाली पैकेटों को मिट्टी में दबाना चाहिए।
किसान किसी भी समस्या के समाधान के लिए पत्रिका सिंह (मोबाइल: 7703077789), रणजीत यादव (मोबाइल: 9918343346) और सुशील शर्मा (मोबाइल: 08542011162) से संपर्क कर सकते हैं।