वेतन विसंगति को लेकर कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, काला बिल्ला लगाकर जताया विरोध

गोपालगंज। बिहार अनुसचिवीय कर्मचारी संघ ने अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने आज काला बिल्ला लगाकर सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। कर्मचारियों ने वेतन विसंगति को दूर करने और कर्मचारियों के हितों से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण मांगों को पूरा करने के लिए किया समाहरणालय परिसर में प्रदर्शन कर नारेबाजी की। संघ का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को लगातार अनसुना कर रही है, जिससे कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
दरअसल संघ के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में
एक ही संवर्ग में नियुक्ति लिपिकों के लिए वेतन विसंगति को दूर करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाये। लिपिकों के मूल पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता मैट्रिक से बढ़ाकर इण्टरमीडिएट कर दिया गया है, परन्तु
वेतन ग्रेड-पे में कोई सुधार नही किया गया है। योग्यता के अनुसार वेतन ग्रेड-पे में सुधार किया जाय। मैट्रिक उत्तीर्ण कर्मियों का वेतन ग्रेड पे 1900/लेवल-02 को इण्टरस्तरीय होने के कारण मूल कोटि का वेतन ग्रेड-पे 2800/लेवल-05 किया जाय, रूपान्तरित सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना के अन्तर्गत पद सोपान में निर्धारित वेतन ग्रेड-पे का लाभप्रदान किया जाय। समाहरणालय संवर्ग के कर्मियों एवं उनके आश्रितों को कैशलेस चिकित्सा व्यवस्था का प्रावधान किया संवर्ग के कर्मियों के लिए 50 लाख रूपये दुर्घटना बीमा का प्रावधान किया जाय। अराजपत्रित कर्मियों के जिला संवर्ग को राज्य स्तरीय संवर्ग के गठन से मुक्त रखा जाय। योग्यता एवं वरीयता के आधार पर बिहार प्रशासनिक सेवा के पदों पर प्रोन्नति के लिए 25% पद आरक्षित किया जाय।।और सभी कर्मियों को NPS अथवा UPS के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागु किया जाय।प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने बताया कि वे लंबे समय से इन मांगों को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। काला बिल्ला लगाकर किया गया यह विरोध प्रदर्शन कर सरकार को यह संदेश दिया गया कि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं और यदि उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वे भविष्य में और भी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। आंदोलनकरियों का कहना है कि सरकारी कार्यालयों में कार्यरत अनुसचिवीय कर्मचारी राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके जायज हक से उन्हें वंचित किया जा रहा है।

 

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