मच्छरजनित बीमारियों के बढ़ते खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग हुआ सक्रिय
मानसूनी बारिश की शुरुआत के साथ मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मच्छर जनित रोगों का खतरा भी बढ़ गया है। इसी को देखते हुए जिलाधिकारी दिव्या मित्तल एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन में संचारी रोग नियंत्रण अभियान और वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत खास तैयारी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा शनिवार को देवरिया शहर सहित चार ब्लॉकों के चिन्हित हाई रिस्क क्षेत्र व गांवों के तालाबों में गंबूजिया मछलियां डाली गई हैं, जो मच्छरों के लार्वा को नष्ट करती हैं और उनके पनपने से रोकती हैं।
हाई रिस्क क्षेत्र चिन्हित कर डाले गए 12 हजार गंबूजिया मछलियां
जिला मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्रा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग और मत्स्य विभाग की टीम ने रामपुर कारखाना ब्लॉक के डुमरी, सिधुआ, बैतालपुर ब्लॉक के परसौना, खराइच, सदर ब्लॉक के गोबराई गांव और नगरीय क्षेत्र के सोमनाथ, देवरही, परमार्थी पोखरा, लक्षीराम पोखरा सहित कुल 11 तालाबों में लगभग 12 हजार गंबूजिया मछलियां डालीं। यह मछलियां प्राकृतिक रूप से मच्छरों के लार्वा को खाकर उनकी संख्या को नियंत्रित करती हैं।
ईको-फ्रेंडली उपाय से बिना केमिकल मच्छरों का सफाया
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि बरसात के मौसम में जलभराव की स्थिति में मच्छर तेजी से पनपते हैं और उनसे बीमारियां फैलने लगती हैं। ऐसे में गंबूजिया मछलियों का इस्तेमाल एक ईको-फ्रेंडली उपाय है, जिसमें किसी केमिकल की आवश्यकता नहीं होती। यह न केवल मच्छरों को नियंत्रित करता है, बल्कि तालाब का पानी भी स्वच्छ बनाए रखता है। यह तरीका पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य – दोनों के लिए सुरक्षित है।
एक मछली खा जाती है रोजाना 100 से 300 लार्वा
गंबूजिया मछली मच्छरों के लार्वा की सबसे बड़ी दुश्मन मानी जाती है। एक मछली प्रतिदिन कम से कम 100 से 300 लार्वा खा सकती है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग इस उपाय को प्राथमिकता दे रहा है। यह उपाय डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों को फैलने से रोकने में बेहद कारगर साबित हो रहा है।
लोगों से अपील – कूलर, गमले और टायर में पानी न जमने दें
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आम नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे अपने घरों और आसपास पानी न जमने दें। खासकर कूलर, खाली गमले, पुराने टायर और छत पर रखे बर्तनों में पानी न भरने दें, क्योंकि डेंगू का मच्छर अक्सर साफ पानी में पनपता है। इस कार्य में सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि और वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक नवीन की भी अहम भूमिका रही।